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करिअमवा

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ओम प्रकाश तिवारी  हमरे बगिया में रंग-रंग के आम, महुआ, जामुन, कटहर, बडहड, इमली, कैथा, बईर, जंगल जलेबी, ढेरा, सिंहोर, बांस, चिलबिल अउर बेल आदि के पेड अहइ। अइसन हलब्बी और गुणी पेड दुनिया में कतंउ न मिले। सवाद छोडा, महक एतनी नीक अहइ कि एक बार सूंघ ल्या तउ पूरी जिनगी ना बिसरइ। पेडे के नीचे तरह-तरह के जडी-बूटी के झील-झंक्खाड। हम सभे अपने बगिया के गंगा माई से बढिके  मानी था। बगिया का, सब तीरथ इहीं मिलि जाइ। हां, हर पेडे के आपन नाम अहइ। पुरखन गुण-धर्म के मुताबिक दिल से पेडवन के नाम रखे अहंइ। आमे में करिअमवा, फुलउरिअहवा, गनटेढवा, खंइअहवा, दषरिअहवा, मलदहवा, छुरिअहवा, मिठउवा, खटउवा, लंगडहवा, सरअहवा, गुलगुलहिया आदि। महुआ में पिपरहवा, लपसिअहवा, चिनिअहवा, गुडअहवा, तितउआ, मुडघुमउना  अंगुरिअहवा, बेडअहवा, लेंडअहवा अउर मिसिरिअहवा आदि।   पंचउ, आज हम अपने बगिया के करिअमवा आमे के किस्सा सुनावत अही। ध्यान से पढत अउर सुनत जाया। करिअमवा हमरे छः बिगहा बगिया के एकदम बीचउ-बीच अउर बहुत बडा जहाजा दुइ पेडिया पेड रहा। ओहमा दुइ रंग के आम फरत रहा। एक तउ साधारण आम अउर दुसरा लम्बा-लम्बा एकदम करिआ-करिआ। कच्चे पे तउ